Shlesh Alankar ki Paribhasha Udaharan Sahit

श्लेष अलंकार- इस लेख में श्लेष अलंकार की परिभाषा, उदाहरण और अर्थ सहित जानेंगे। हमने बहुत गहन अध्यन के बाद श्लेष अलंकार की विस्तृत जानकारी प्रदान यहाँ साझा की है। 

श्लेष अलंकार हिंदी साहित्य का महत्पूर्ण अलंकार है। जो शब्दों अनेक अर्थो के माध्यम से सौन्दर्य को उत्पन्न करता है। श्लेष अलंकार में शब्द और वाक्य का प्रयोग किया जाता है, जिसका अर्थ संदर्भ परिस्थिति के अनुसार बदल सकता है। श्लेष अलंकार का उपयोग साहित्यिक रचनाओं और कविताओं में विशेष प्रभाव और गहराई को प्रदर्शित करने के लिए किया है। इसलिए, यहाँ shlesh alankar ke udaharan, shlesh alankar ki paribhasha, shlesh alankar kise kahate hain अदि के बारे में समझ पाएंगे।  

Shlesh Alankar ki Paribhasha and Example – श्लेष अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित

जहाँ पर एक ही शब्द का इस्तेमाल एक बार होता है, लेकिन उस शब्द का अर्थ हमेशा अलग अलग होता है। श्लेष अलंकार (वाक्य का श्लेष अलंकार) हिंदी और संस्कृत काव्य में एक महत्वपूर्ण अलंकार है, जिसमें एक ही शब्द या वाक्यांश एक ही संदर्भ में कई अर्थ व्यक्त करता है। इस प्रकार का अलंकरण शब्दों के दोहरे या अनेक अर्थों के साथ खेलकर कविता की गहराई, सुंदरता और चतुराई को बढ़ाता है। श्लेष अलंकार में याद रखने योग्य दो बाते है, पहली और जरुरी, एक शब्द के अनेक अर्थ होने चाहिए। और एक से अधिक अर्थ प्रकरण में स्पष्ट हो।

श्लेष अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित

पहला उदाहरण 

रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।

पानी गए न उबरै मोती मानस चून।।

स्पष्टीकरण – इस दोहे में ‘पानी’ शब्द के तीन अर्थ है। 

मनुष्य – विनम्रता 

मोती – चमक 

चून – पानी

Shlesh Alankar Kise Kahate Hain aur Udaharan – श्लेष अलंकार किसे कहते हैं उदाहरण सहित

अगर सरल भाषा में श्लेष अलंकार किसे कहते है को समझना हो, तो श्लेष’ का अर्थ ‘मिला हुआ’ अथवा ‘चिपका हुआ’ होता है। श्लेष अलंकार में ऐसे शब्दों का अधिक प्रयोग किया जाता है, जिन शब्दों के अर्थ अनेक होते है। 

उदाहरण के रूप में, “राम बाण चलाते हैं” – यहाँ “राम” शब्द न केवल भगवान राम बल्कि किसी भी सामान्य व्यक्ति जिसका नाम राम हो, दोनों को संदर्भित कर सकता है। इस प्रकार, एक ही वाक्य से दो भिन्न अर्थ व्यक्त किए जा सकते हैं, जो श्लेष अलंकार का उत्कृष्ट उदाहरण है।

श्लेष अलंकार का प्रयोग लेखक और कवि द्वारा अपने काव्य में सौन्दर्य को बढ़ाने के लिए करते है। इस प्रकार पाठको को काव्यों को पड़ने में रूचि मिलती है।

Shlesh Alankar ke Udaharan Sahit – श्लेष अलंकार के उदाहरण अर्थ सहित 

हिंदी साहित्य पढ़ने वाले अधिकतर पाठक श्लेष अलंकार के उदहारण अर्थ सहित पड़ना और समझना चाहते है। इसलिए हमने इस लेख में shlesh alankar ke udaharan अर्थ सहित पेश किये है। 

श्लेष अलंकार के 10 उदाहरण (अर्थ सहित)

राम बाण चलाते हैं।
अर्थ 1: भगवान राम तीर चलाते हैं।
अर्थ 2: एक व्यक्ति जिसका नाम राम है, वह बाण (तीर) चलाता है।

गंगा तट पर साधु स्नान कर रहे हैं।
अर्थ 1: गंगा नदी के किनारे साधु स्नान कर रहे हैं।
अर्थ 2: किसी स्त्री का नाम गंगा है, और उसके तट (किनारे) पर साधु स्नान कर रहे हैं।

मृगनयनी ने मृग को देखा।
अर्थ 1: सुंदर हिरणी जैसी आँखों वाली स्त्री ने एक हिरण को देखा।
अर्थ 2: हिरणी ने किसी अन्य हिरण को देखा।

नीलांबर आकाश में चमक रहा है।
अर्थ 1: नील रंग का वस्त्र (नीलांबर) आकाश में लहरा रहा है।
अर्थ 2: नीला आकाश चमक रहा है।

कमल दल में बैठा है।
अर्थ 1: कमल का फूल पत्तों के समूह में स्थित है।
अर्थ 2: किसी व्यक्ति (जिसका नाम कमल है) का दल (समूह) में बैठना।

बालक ने बाल पकड़ लिया।
अर्थ 1: छोटे बच्चे ने किसी के सिर के बाल पकड़ लिए।
अर्थ 2: बालक (बच्चे) ने किसी अत्यंत सूक्ष्म वस्तु (बाल के समान पतली चीज) को पकड़ लिया।

कोकिल कूकी और कूकी आ गई।
अर्थ 1: कोयल पक्षी गा उठी।
अर्थ 2: किसी स्त्री (जिसका नाम कूकी है) का आना।

अंगराज ने अंग पर विजय प्राप्त की।
अर्थ 1: अंग देश के राजा (कर्ण) ने अंग देश पर विजय प्राप्त की।
अर्थ 2: किसी ने शरीर (अंग) पर विजय प्राप्त की (संयम रखा)।


सरिता सरिता के किनारे खड़ी है।
अर्थ 1: एक नदी (सरिता) अपने किनारे बह रही है।
अर्थ 2: सरिता नाम की स्त्री नदी के किनारे खड़ी है।

पद्मिनी पद्म पर बैठी है।
अर्थ 1: पद्मिनी (सुंदर स्त्री) कमल (पद्म) पर बैठी है।
अर्थ 2: किसी स्त्री जिसका नाम पद्मिनी है, वह कमल के फूल पर बैठी है।

श्लेष अलंकार के भेद 

श्लेष अलंकार के कुल 2 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-

1. अभंग श्लेष

2. सभंग श्लेष

1. अभंग श्लेष

जब किसी शब्द को बिना तोड़े उसके अनेक अर्थ निकलते हैं, तो उसे ‘अभंग श्लेष’ कहा जाता है।

उदाहरण:

“रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।

पानी गये न ऊबरै, मोती, मानुस, चून।।” – रहीम

यहाँ “पानी” एक अनेकार्थक शब्द है, जिसके तीन अर्थ निकलते हैं:

कांति (चमक) – मोती के संदर्भ में।

सम्मान (प्रतिष्ठा) – मनुष्य के संदर्भ में।

जल (पानी) – चूने के संदर्भ में।

इन तीनों अर्थों का प्रयोग बिना शब्द को तोड़े किया गया है, इसलिए यह अभंग श्लेष अलंकार का उदाहरण है।

2. सभंग श्लेष

जब किसी शब्द से श्लेष अलंकार की व्याख्या करने के लिए उसे जोड़ा या तोड़ा जाता है, तो उसे ‘सभंग श्लेष’ कहा जाता है।

उदाहरण:

“सखर सुकोमल मंजु, दोषरहित दूषण सहित।” – तुलसीदास

यहाँ “सखर” शब्द के दो अर्थ निकलते हैं:

सखर = कठोर

स + खर = खरदूषण (राक्षसों के नाम) के साथ

चूंकि यहाँ “सखर” शब्द को तोड़कर दूसरा अर्थ निकाला गया है, इसलिए यह सभंग श्लेष अलंकार का उदाहरण है।

श्लेष अलंकार से जुड़े 3 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. श्लेष अलंकार की परिभाषा क्या है?

उत्तर: जब किसी एक ही शब्द या वाक्य के एक से अधिक अर्थ निकलते हैं और वे सभी अर्थ वाक्य में सार्थक होते हैं, तब उसे श्लेष अलंकार कहते हैं। यह अलंकार हिंदी और संस्कृत काव्य में विशेष सौंदर्य और चमत्कार उत्पन्न करता है।

2. श्लेष अलंकार किसे कहते हैं?

उत्तर: श्लेष अलंकार वह अलंकार है, जिसमें एक ही शब्द के एकाधिक अर्थ होते हैं, और इन विभिन्न अर्थों के कारण वाक्य में सुंदरता तथा गूढ़ता आती है। यह अलंकार शब्दों के विभिन्न संदर्भों में प्रयुक्त होने की क्षमता को दर्शाता है।

3. श्लेष अलंकार के उदाहरण क्या हैं?

उत्तर:राम बाण चलाते हैं।

(अर्थ 1) भगवान राम तीर चलाते हैं।
(अर्थ 2) कोई व्यक्ति जिसका नाम राम है, वह बाण (तीर) चला रहा है।

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